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अलसीसर सरपंच भाटी ने पेश की बड़ी मिशाल, सरकारी भूमि के बदले दी खुद की जमीन प्रसाशन को।

 अलसीसर सरपंच हारुन भाटी ने पेश की बड़ी मिशाल, सरकारी भूमि में बसे लोगो के बदले दी खुद की 18 बिगा जमीन प्रसाशन को।


अलसीसर सरपंच अरुण भाटी ने पेश की बड़ी मिशाल आज के राजनीतिक दौर में जहां लोग राजनीतिक पदों पर आसीन होकर लोग स्वयं को बड़ा लाभ पहुंचाने अथवा सरकारी जमीन को हड़पने तथा खुर्द बुर्द कर बेचने की फिराक में रहते हैं वही इस दौर में अलसीसर के सरपंच हारून भाटी ने बड़ी मिसाल पेश की है। अलसीसर में रात्रि चौपाल के कार्यक्रम में अलसीसर सरपंच हारून भाटी ने अपनी जमीन में से 18 बीघा जमीन प्रशासन को सौंप दी जो जो बेघरों बसाने अथवा  सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर रहे लोगों के एवज में उनको वर्तमान भूमि पर बसाने के काम में आएगी। 

मलसीसर में मंगलवार रात को रात्रि चौपाल कार्य कार्यक्रम आयोजित किया गया जहां जिला के जिला कलेक्टर लक्ष्मण सिंह कुड़ी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की वही कार्यक्रम में जिलापरिषद के सीईओ जवाहर सिंह,प्रधान घासी राम पुनिया, एसडीएम साधु राम जाट विकास अधिकारी महेश चंद्र,तहसीलदार जगदीश प्रसाद,थानेदार गोपाल सिंह थालोर सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे।



कार्यक्रम में लोगों की जन समस्याओं को सुनकर मौके पर निस्तारण किया गया वहीं कुछ समस्याओं को विभागीय कार्रवाई के लिए प्रेषित किया गया। कार्यक्रम में सरपंच हारून भाटी ने गांव की पुरानी समस्या के निपटारे के लिए जिला कलेक्टर से निवेदन किया और कहा कि जो लोग सरकारी और गैर मुमकिन भूमि में बसे हुए हैं उन लोगों को वही स्थाई करके उनको पट्टे प्रदान की जाए ना कि उनको वहां से उजाड़ा जाए। उस भूमि की एवज में मैं अपनी स्वयं की खातेदारी की भूमि 18 बीघा प्रशासन को देने के लिए तैयार हूं। जिसको सभी अधिकारियों ने जिले के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण बताते हुए बताया कि ऐसे लोग बहुत कम देखने को मिलते हैं जो लोग वाकई में समाज की सेवा करने के लिए तैयार रहते हैं। आज अलसीसर सरपंच द्वारा की गई घोषणा राज्य अथवा जिले के लिए बहुत ही अनुकरणीय है। 

जिला कलेक्टर लक्ष्मण सिंह कुड़ी ने सरपंच भाटी के इस कदम की प्रसंसा करते हुए बताया कि लोक हित के लिए ऐसे उदाहरण बहुत कम देखने को मिलते हैं। आज अलसीसर सरपंच ने जिले ही नही बल्कि पूरे राजस्थान के लिए अनुकरणीय मिशाल पेश की है।


वहीँ सरपंच हारून भाटी ने बात करते हुए कहा कि में इस पद पर जनसेवा के लिए आया हु। ओर मेरे गांव के लोगों ने मुझे यहाँ पहुचाया हैं। आज भले ही वो अतिक्रमण कर रह रहे होंगे परन्तु आज उनके मकान तोड़े जाएंगे तो सबसे ज्यादा दुख मुझे होगा इसलिए मैंने यह फैसला लेते हुए सरकार को अतिक्रमित भूमि के बदले मेने स्वयं की भूमि सरकार को दे दी हैं। ताकि उन लोगो को उजाड़ न जाए।

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